ढल चुकी जवानी

भीगी पलकों से,
टिप-टिप टपका पानी,
जीवन की संध्या पर,
हो रही हैरानी,

बीत गया, सो बीत गया,
शुरु नहीं कहानी,
मद्धम-मद्धम सब अब,
चीजें हुईं पुरानी,

थकती बातें, अधूरी सही,
सच्चाई थी आनी,
झुककर चलती काया,
ढल चुकी जवानी।


-Harminder Singh