Home old ढल चुकी जवानी ढल चुकी जवानी harminder singh / Thursday, June 30, 2011 भीगी पलकों से,टिप-टिप टपका पानी,जीवन की संध्या पर,हो रही हैरानी,बीत गया, सो बीत गया,शुरु नहीं कहानी,मद्धम-मद्धम सब अब,चीजें हुईं पुरानी,थकती बातें, अधूरी सही,सच्चाई थी आनी,झुककर चलती काया,ढल चुकी जवानी।-Harminder Singh