दिल्ली हाइ कोर्ट परिसर में हुए बम विस्फोट ने एक बार फिर एक दर्जन लोगों की जान लेकर तथा कई दर्जनों को घायल कर पुन: देश को संदेश दिया है कि आतंकी ताकतें हार नहीं मानने वालीं। इससे केन्द्र सरकार की आतंक से निपटने की क्षमता और रणनीति की कमजोरी भी एक बार पुन: सामने आयी है। मरने वालों में सभी धर्मों के लोग हैं। आतंकी भले ही कुछ भी दावा करें लेकिन उन्हें किसी धर्म अथवा मजहब से कोई लेना-देना नहीं।
एक ओर बेकसूर लोगों की लाशों से दिल्ली लाल है तो वहीं हमारे नेता इन लाशों पर राजनीति करने पर उतारु हैं। हमारे प्रधानामंत्री डा. मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी. चिदंबरम के घिसे-पिटे बयान आ गये। लोग मरते जाते हैं तथा नेता बयानबाजी के बाद कुछ समय बाद चैन की नींद लेने लगते हैं। उन्हें किसी महत्वपूर्ण स्थान की सुरक्षा का भी पता नहीं रहता।
नेताओं को कुरसी की खींचतान, रामदेव और अन्ना हजारे जैसे लोगों को घेरने के लिए ही काफी फोर्स और साधन चाहिएं। आतंकवाद से निपटना उतना जरुरी नहीं माना जाता। केवल सरकार की ढिलाई ही नहीं बल्कि आतंकवाद के कारणों की तह तक पहुंचने का कभी भी प्रयास नहीं किया गया। न तो यह काम अकेले शक्ति के बल पर संभव है और न ही यह अत्यधिक शिथिलता या नरमी के सहारे किया जा सकता है। हमें पहले आतंकवाद के कारण समझने होंगे जिन्हें समझने का कोई प्रयास नहीं किया। जिस दिन हम यह समझ गये कि आतंकवाद क्यों फल-फूल रहा है उसी दिन यह भी पता चल जायेगा कि इसके पीछे कौन से तत्व काम कर रहे हैं। उसके बाद इस बीमारी का इलाज आसान हो जायेगा। जब बीमारी का ही पता नहीं चलेगा तो उसका इलाज कैसे किया जा सकता है। ऐसे में तो बीमारी और गंभीर हो जायेगी। हम आतंकवाद के साथ भी यही सलूक कर रहे हैं। यही कारण है कि वह खत्म नहीं हो पा रहा।
-Harminder Singh
एक ओर बेकसूर लोगों की लाशों से दिल्ली लाल है तो वहीं हमारे नेता इन लाशों पर राजनीति करने पर उतारु हैं। हमारे प्रधानामंत्री डा. मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी. चिदंबरम के घिसे-पिटे बयान आ गये। लोग मरते जाते हैं तथा नेता बयानबाजी के बाद कुछ समय बाद चैन की नींद लेने लगते हैं। उन्हें किसी महत्वपूर्ण स्थान की सुरक्षा का भी पता नहीं रहता।
नेताओं को कुरसी की खींचतान, रामदेव और अन्ना हजारे जैसे लोगों को घेरने के लिए ही काफी फोर्स और साधन चाहिएं। आतंकवाद से निपटना उतना जरुरी नहीं माना जाता। केवल सरकार की ढिलाई ही नहीं बल्कि आतंकवाद के कारणों की तह तक पहुंचने का कभी भी प्रयास नहीं किया गया। न तो यह काम अकेले शक्ति के बल पर संभव है और न ही यह अत्यधिक शिथिलता या नरमी के सहारे किया जा सकता है। हमें पहले आतंकवाद के कारण समझने होंगे जिन्हें समझने का कोई प्रयास नहीं किया। जिस दिन हम यह समझ गये कि आतंकवाद क्यों फल-फूल रहा है उसी दिन यह भी पता चल जायेगा कि इसके पीछे कौन से तत्व काम कर रहे हैं। उसके बाद इस बीमारी का इलाज आसान हो जायेगा। जब बीमारी का ही पता नहीं चलेगा तो उसका इलाज कैसे किया जा सकता है। ऐसे में तो बीमारी और गंभीर हो जायेगी। हम आतंकवाद के साथ भी यही सलूक कर रहे हैं। यही कारण है कि वह खत्म नहीं हो पा रहा।
-Harminder Singh