जीवन और मरण
तन्हाई में जीना है
और मर जाना है।
जीवन-मरण का
यह खेल पुराना है।
.....................................
....................................
...................................
मृत्यु की हंसी,
यम का बुलावा है।
किया जो, हुआ जो,
क्यों पछतावा है।
.....................................
....................................
....................................
कराह उठता हूं,
कुंठित मन मेरा है।
दुख की नैया पर,
काले मेघों का घेरा है।
-Harminder Singh
Previous Posts :