बचपन से शुरु, बुढ़ापे पर खत्म

old ageमेरे दादी-दादी हम बच्चों को देखकर बहुत खुश होते थे। बूढ़ी आंखों से ढेर सा प्यार झलकता था। वे अपनी झुर्रीदार बाहों को फैलाते और हम दौड़कर उनसे लिपट जाते। वह अनुभूति बहुत ही सुखद होती।

आज वैसा नहीं है। दादी-दादी संसार से विदा ले चुके। हम भी बच्चे नहीं रहे। अब अपने माता-पिता को देखता हूं तो महसूस होता है कि धीरे-धीरे वे भी बुढ़ापे की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। इस हिसाब से हम सभी कदम तो उसी दिशा बढ़ा रहे हैं।

जिंदगी शुरु बचपन से होती है और बुढ़ापे पर खत्म। हम जीवन की तेज चाल में इस कदर उलझ गये हैं कि पता ही नहीं चलता कि हमने सफर शुरु कब किया था। आज जब खुद को देखते हैं तो महसूस होता है कि वाकई जिंदगी बीतती भी है।

पांच अहम वृद्ध

मेरे जीवन में सबसे अहमियत वृद्धों की रही है। परदादा का प्यार और दुलार मैं कभी भूल नहीं सकता। उनकी सादगी, उनके विचार मेरे लिए हमेशा प्रेरणा रहे हैं। उनकी वह लाइब्रेरी और दुनियाभर की किताबों का मेला। सच में किताबों से प्रेम करना उन्हीं से सीखा।

मेरे दादी-दादी जिन्होंने यह सिखाया कि दूसरों के साथ कभी बुरा मत करो। सच बोलने में कोई बुराई नहीं, बस यह सोच लो कि झूठ के पैर कितने। दादी का प्रेम और उनकी मुस्कान। लिखते हुए मन भारी हो रहा है।

असल में कुछ लोग हमारे अपने होते हैं, लेकिन उनका अपनापन इस कदर हमसे लिपट जाता है कि हम उन्हें याद करते हैं तो दिल भर आता है क्योंकि वे होते ही इतने अच्छे हैं।

नानी चाहती थीं कि मैं उनके पास ही रहूं। उन्हें यही लगता कि मैं अभी छोटा बच्चा हूं। दादी की ही तरह वे अतिथियों का सत्कार खूब किया करती थीं। दूसरों की सेवा भगवान की सेवा है, ऐसा वे मानती थीं। मेरे नाना कम बोलते थे। जितना बोलते वह मायने रखता। अखबार और चाय की प्याली से उनके दिन की शुरुआत होती।

वृद्धों के सबक अहम होते हैं। उनकी सीखें जीवन में बदलाव लाती हैं।

हम भी बूढ़े होंगे

बुढ़ापा चुपके से नहीं आता। वह बताकर आता है। हम जानते हैं कि हम भी एक दिन बूढ़े होंगे। बुढ़ापे के लक्षण होते हैं। झुर्रियां हमारे शरीर पर होंगी। वह अहसास कैसा होगा? शायद जवानी से बिल्कुल उलट या फिर किसी ओर तरह का। तब हर किसी का जीवन जीने का तरीका अलग होगा। कोई अपनों के साथ होगा, तो कोई उनसे दूर।

बुढ़ापे पर चंद पंक्तियां :

कमर मुड़ जायेगी,
कंधे झुक जायेंगे,
चलूंगा मैं धीरे-धीरे,
निगाह होगी नीची,
आवाज होगी फीकी,
काश ऐसा न हो,
लेकिन ऐसा होगा,
हम भी बूढ़े होंगे,
हम भी बूढ़े होंगे।

-Harminder Singh

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