Home kavita जीवन का उत्सव जीवन का उत्सव Harminder Singh Chahal / Tuesday, May 27, 2014 बूंद जो मुस्करा रही है…. कोई गीत गा रही है…. जीवन का उत्सव है यह…. हरियाली जो समा रही है…. उजली धूप परछाईं बन आयी…. किरणों की लौ मुस्का रही है…. धूल चली पांव-पांव…. मंद पवन गुनगुना रही है….। हरमिन्दर सिंह इन्हें भी पढ़ें : बचपन का आनंद मेरी मां कुत्तों की सभा पागलखाना (हास्य कविता) विदाई बड़ी दुखदायी जीवन और मरण बूढ़े शब्द