किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि जो भी आप लिखें उसे दिल से लिखें। हर रचनाकार का कर्म होना चाहिए कि वह अपनी हर रचना को डूबकर तैयार करे ताकि वह जीवंत हो उठे। यही दिल से लिखना होता है।
इस पर मैंने काफी अध्ययन किया। बाद में कुछ बातें सामने आयीं:
1) मन से लिखें
2) महसूस करके लिखें
3) घुल जायें अपने विषय में
ये तीनों अहम हैं। एक लेखक को इनकी आवश्यकता है।
इसपर मुझे सपने में कहीं एक बात याद आ गयी जिसमें एक बाबा की तरह दिखने वाला शख्स कह रहा था -‘‘डूबकर स्नान किया जाता है तो मन निर्मल हो जाता है। तन तो साबुन से भी साफ हो जायेगा। मानसिक अवस्था भी कूल-कूल हो जाती है।’’
लेखक कौन होता है?
अब प्रश्न का मेघ फिर मंडराया। पूछा गया कि ये लेखक कौन है?
उत्तर बहुत लेखकों से पूछा गया। किसी के पास समय नहीं था। कोई खुद से ही पूछ रहा था क्योंकि उन्हें अपने लेखक होने पर शक था जबकि पिछले एक दशक से ज्यादा वक्त से वे निरंतर नदी की तरह बह रहे थे। काफी कीचड़, गारा इकट्ठा कर लिया होगा।
एक व्यक्ति आये। थोड़ा मुस्काये। थे नहीं कई दिनों से नहाये। आसन ग्रहण किया बिन बताये। मैं हूं लेखक। लेखक मेरे जैसा होता है। सीधा और सच्चा। भावुक। छोटी से छोटी चीज को महसूस करने की हिम्मत रखता है लेखक। खुशी में जैसा भी लिखे, लेकिन दुख में सबसे उत्तम लिखता है।
इसका मतलब जो लेखक है वह है नहीं। जो लेखक नहीं, वह लेखक है। बहुत संशय है। सीधी लकीर को देखकर अंदाजा लगाना कठिन है कि वह टूटी कहां से है।
-harminder singh
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ज्ञान की रोशनाई
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जिंदगी की रोशनाई
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कल्पना का उत्सव
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बुद्धि और विवेक हैं सबसे बड़े सलाहकार
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जाते-जाते वह कितना सिखा गया
इस पर मैंने काफी अध्ययन किया। बाद में कुछ बातें सामने आयीं:
1) मन से लिखें
2) महसूस करके लिखें
3) घुल जायें अपने विषय में
ये तीनों अहम हैं। एक लेखक को इनकी आवश्यकता है।
इसपर मुझे सपने में कहीं एक बात याद आ गयी जिसमें एक बाबा की तरह दिखने वाला शख्स कह रहा था -‘‘डूबकर स्नान किया जाता है तो मन निर्मल हो जाता है। तन तो साबुन से भी साफ हो जायेगा। मानसिक अवस्था भी कूल-कूल हो जाती है।’’
लेखक कौन होता है?
अब प्रश्न का मेघ फिर मंडराया। पूछा गया कि ये लेखक कौन है?
उत्तर बहुत लेखकों से पूछा गया। किसी के पास समय नहीं था। कोई खुद से ही पूछ रहा था क्योंकि उन्हें अपने लेखक होने पर शक था जबकि पिछले एक दशक से ज्यादा वक्त से वे निरंतर नदी की तरह बह रहे थे। काफी कीचड़, गारा इकट्ठा कर लिया होगा।
एक व्यक्ति आये। थोड़ा मुस्काये। थे नहीं कई दिनों से नहाये। आसन ग्रहण किया बिन बताये। मैं हूं लेखक। लेखक मेरे जैसा होता है। सीधा और सच्चा। भावुक। छोटी से छोटी चीज को महसूस करने की हिम्मत रखता है लेखक। खुशी में जैसा भी लिखे, लेकिन दुख में सबसे उत्तम लिखता है।
इसका मतलब जो लेखक है वह है नहीं। जो लेखक नहीं, वह लेखक है। बहुत संशय है। सीधी लकीर को देखकर अंदाजा लगाना कठिन है कि वह टूटी कहां से है।
-harminder singh
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माता-पिता और बच्चे..............................................................
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जाते-जाते वह कितना सिखा गया