हाल में किसी जाननेवाले का जन्मदिन था। वहां काफी चहल पहल थी। छोटे बच्चे खूब हंगामा कर रहे थे। उनकी शैतानियां जारी थीं। उन्होंने मुझे भी नहीं बख्शा। दो बच्चे दौड़ते हुये आये और मुझसे लिपट गये।
उन्होंने ऐसा इसलिये किया क्योंकि दूसरे बच्चे उनके पीछे दौड़ रहे थे। उनके हाथों पर सब्जी लगी थी। शायद वे कार्यक्रम की शुरूआत से पहले मौका मार चुके थे। मेरी बादामी पैंट पर अच्छे खासे दाग लग चुके थे।
जन्मदिन के लिये केक लाया गया। हम सभी ताली बजाने को उत्सुक थे। जैसे ही केक कटा तालियों की गड़गड़ाहट से समा गूंज गया। लेकिन कमाल देखिये केक का टुकड़ा सबसे पहले उन्होंने पालतू बिल्ली को खिलाया। बताया गया कि यह रिवाज है। वे परंपरा को पुश्तों से निभाते आ रहे हैं। यह उनके परिवार के लिये शुभ होता है।
जन्मदिन की पार्टी देर रात चलने वाली थी। खूब गाने-बजाने हो रहे थे। हर कोई थिरकने को मजबूर था। यह खुशी का उत्सव था।
जिंदगी में खुशियां मनायी अपने तरीके से जाती हैं और उन्हें जिया खुलकर जाता है। जन्मदिन ऐसा ही एक उत्सव है जो हमें हमारी जिंदगी को बीते दिनों का जश्न मनाने को प्रेरित करता है। जो हुआ-अच्छा या बुरा, अब नये साल में हमने कदम रखा है, उसके लिये नयी शुरूआत हुई है, यह जश्न उसका भी है।
-हरमिन्दर सिंह