पिता की परिवार में भूमिका महत्वपूर्ण है। घर का वित्तीय मुखिया वही है। बच्चों के लिए वह प्रेरणा है। श्रम, तपस्या और संघर्ष की प्रेरणा बच्चों को पिता से मिलती है। उसके निर्णयों पर घर ही दशा-दिशा निर्भर होती है। वह परिवार का नेता होता है। परिवार के लिए वह अहम मामलों में फैसले लेता है। परिवार का हित उसके लिए अहम है।
पिता को संकटमोचक कहा जा सकता है। परिवार जब किसी विपत्ति में होता है, तब उसका फर्ज होता है परिवार को संकट से निकालना। मुश्किल में राह दिखाता है पिता।
गुरु की भूमिका में पिता बच्चों को वह जीवन जीने की कला सिखाता है। उसके अनुभवों से बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। भविष्य में आने वाले कई संकटों को पिता के अनुभव से वे हल करने में सक्षम होते हैं।
पिता बच्चों का दोस्त भी है। वह बच्चों के साथ घुल-मिलकर रहता है। उन्हें हंसाता है। उनके साथ खेलता है।
सच में पिता महान है।
-हरमिन्दर सिंह
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