खेत में लगा एक आम का पेड़ हर साल बहुत आम पैदा करता है। इस बार मौसम खराब नहीं हुआ इसलिए आम गिरे नहीं। लंगड़ा जाति का यह पेड़ कई सालों से हमें स्वादिष्ट फल उपलब्ध करा रहा है। दूसरे आम के पेड़ से हमें इतना लगाव नहीं क्योंकि वे बाग का हिस्सा हैं। यह इकलौता है और हमारा चहेता बन गया। एक तरह से देखा जाये तो यह दुलारा है।
काफी संख्या में कच्चे आमों को पेटियों में भरकर रख दिया जाता है ताकि वे पक सकें। हम केवल कुछ आमों को पेड़ पर छोड़ते हैं जिन्हें ‘डाल’ वाला आम कहा जाता है। डाल पर पके आम का स्वाद बहुत अच्छा होता है। उसकी मिठास का जबाव नहीं। मगर उनका भरोसा नहीं क्योंकि आंधी या तेज हवा के कारण नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। गिरने के कारण आम की सेहत पर असर पड़ता है।
उस आम के पेड़ को पिताजी कई साल पहले केवल पांच रुपये में लाये थे। हर साल वह कई हजार के आम हमें उपलब्ध करा रहा है। मेरे दादा और दादी जब खेत पर आते तो उस पेड़ के नीचे चारपाई डालकर जरुर बैठते। गरमी के मौसम में शीतल छाया का अपना ही आनंद है। ऐसे मौके पर यदि आपकी आंख लग जाये तो कोई नयी बात नहीं होगी। मुझे पेड़ के नीचे बैठने का उतना सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। हां, आमों का स्वाद हर साल चखने से पीछे नहीं रहता। पड़ोसियों को भी हम आम का स्वाद चखवाते हैं। वे भी वाह किये बगैर नहीं रहते। आम के पेड़ के चरचे दूर तलक हैं।
-हरमिन्दर सिंह
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