‘‘जीवन को भूलने की भूल हम नहीं कर सकते। यह आसान नहीं।’’ -बूढ़ी काकी बोली।
उसने आगे कहा -‘‘जीवन सदैव एक प्रवाह में नहीं रहा। वह मौसम की तरह बदलता रहता है। ये बदलाव उसे नयी शक्ल देते हैं, नयी परिभाषा देते हैं।’’
‘‘सही मायनों में जीवन एक गाथा है। ऐसी गाथा जिसकी लटायें अनमोल हैं। एक से दूसरा कोना अलग नहीं हो सकता, बंधा हुआ है।’’
मैंने काकी के विचारों को मन में एकत्रित किया। सचमुच जीवन पर उसकी सोच जीवन को बदल सकती है। हमें सोचने पर विवश कर सकती है कि जीवन क्या है? जीवन क्यों है? जीवन के मायने क्या हैं?
काकी बोली-‘‘संसार जीवन के अर्थ पर आधारित है। जो चीजें निरंतर हैं वे जीवन को सींच रही हैं। सृष्टि का उद्धार हो रहा है। इंसान संघर्ष कर रहा है। संघर्ष के बिना भी जीवन का मतलब नहीं रह जाता। ऐसा जीवन भी क्या जीवन जो आसान हो क्योंकि जीवन कभी आसान नहीं हो सकता।’’
‘‘मोड़ आयेंगे, व्याधायें आयेंगी। हम उनसे मुंह नहीं मोड़ सकते। जीवन यही कहता है कि उफनते समुद्र से भी आंख मिलाओ। इंसान आंख मिलायेगा तो जीवन का स्वरुप बदलेगा और वह कामयाबी के नये शिखर छू लेगा।’’
मैं सोचने लगा कि जीवन विस्तृत है जिसकी परिभाषा शायद अनगिनत सवालों के उत्तर तलाशते हुए न खोजी जा सके, लेकिन इसकी निरंतरता बरकरार रहती है। जीवन गतिशील है तभी यह जीवन कहलाता है। जीवन बहता नीर है। जीवन का कोई आकार नहीं। जीवन जिया जाता है और जीवन हंस के जिया जाये तो वह जीवन सफल जीवन कहलाता है।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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