उम्र को कई लोगों ने जीता है। उन्होंने उसे हावी नहीं होने दिया। वे स्वयं को मनाने में कामयाब हुए हैं। जबतक वे कर सकते थे उन्होंने किया और हंसते-हंसाते अलविदा भी कह गये। वे सिखा गये जिंदगी के सबक कि उम्र से जीवन नहीं चलता, जीवन से उम्र चलती है और जीवन चलता हैं इंसान से।
जब बुढ़ापा कचोटने लगा तो उन्होंने सोचा कि इसे आजमाया जाये। लगे आजमाने। विचार करते गये, सोचते गये। नये विचार उत्पन्न हुए, नयी सोच विकसित हुई। इस तरह वे उम्र को जीने का तरीका सीखते गये। उम्र गुजर चुकी थी। जितनी बाकी थी उसे शान से जी लिया।
उन्होंने ऐसा कैसे किया आईये जानते हैं:
खुद को समझाया
स्वयं को समझाना सरल नहीं है। बुढ़ापा उम्र का आखिरी पड़ाव माना जाता है। जिंदगी यहां उतनी गति के साथ रोमांचक नहीं होती। वह दुनिया की हलचलों से दूर होने की प्रक्रिया के प्रारंभिक काल में खुद को महसूस करने लगता है। उम्र को जीतने वाले लोगों ने खुद को समझाया कि समय ही तो है, धीरे-धीरे गुजर जायेगा। वे बातें करते रहे स्वयं से ताकि खुद को पूरी तरह महसूस कर सकें। जान सकें कि वे इस उम्र से चाह क्या रहे हैं? क्या उनकी उम्मीदें हैं? क्या उन्हें खुद पर भरोसा है?
जानते हैं हम कि सवाल होंगे और उत्तर बिखरे होंगे हमारे आसपास। हल तलाशने की जिम्मेदारी हमारी है। वक्त लगेगा लेकिन तय है कि कई बातें समझ आयेंगी। खुद को समझने की प्रक्रिया जटिल हो सकती है, मगर उसे अपनाने में कोई बुराई नहीं। महसूस नहीं होने दीजिये स्वयं को आप बूढ़े हैं। मत सोचिये कि आप का चेहरा झुर्रियों से भरा है। भूल जाइये कि आप उम्र के आखिरी पड़ाव के करीब हैं। मन से निकाल फेंकिये उस बात को जब आपको किसी ने बूढ़ा कहा था। दिमाग से नकारात्मक बातों को निकालते जाईये, सकारात्मक विचार अपने आप आपको उत्साहित करते जायेंगे। यह सुखद होगा आपके बाकी दिनों के लिए। खुद जान जायेंगे कि आप क्या हैं? खुद मानने लगेंगे कि आपने जीवन को स्वयं के प्रयासों से तब्दील किया है।
हंसने के कारण ढूंढें
हंसी-खुशी जीवन में नया संचार करती है। जीवन जीने का आनंद यहीं छिपा है। बुढ़ापे में हंसने के बहाने ढूंढे जायें तो कोई बुराई नहीं। बच्चों के साथ मिलकर किस्से-कहानियों में समय बिताकर ऐसा किया जा सकता है। उनसे चुटकुले सुनिये। खुद पुरानी मजेदार बातों को बांटिये। वे हंसेंगे तो आपको मुस्कराने की वजह मिल जायेगी। उनकी मुस्कान आपको कुछ वक्त ऐसे संसार में पहुंचा देगी जहां बुढ़ापा आसपास नहीं फटकता। ऐसा संसार जहां उम्र की सीमा नहीं या यों कहें वहां उम्र है ही नहीं।
जीवन का उत्सव बुढ़ापे में भी मनाया जा सकता है। यह सच है कि उम्र कोई बंधन नहीं आपके जीने में। उम्र के बंधन को तोड़कर जीवन को अपने तरीके से जिया जा सकता है। ध्यान यही रखना चाहिए कि जिंदगी की पटरी से आप अपनी गाड़ी को उतरने न दें।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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