मन की बात क्यों अधूरी है,
क्यों बिन कहे पूरी है,
क्यों बिन कहे पूरी है,
विचार जो अनूठे हैं,
सच पूछो सब झूठे हैं,
सच पूछो सब झूठे हैं,
यह स्थिति चिंताजनक है,
हैरानी-युक्त, आश्चर्यजनक है,
हैरानी-युक्त, आश्चर्यजनक है,
लेकिन कहना पड़ेगा,
वरना मन पर बोझ बढ़ेगा,
वरना मन पर बोझ बढ़ेगा,
सोच रही जो भी सही,
मन ने चाहें न कही,
मन ने चाहें न कही,
बाहर लाया जायेगा,
फिर बताया जायेगा,
फिर बताया जायेगा,
तभी समझ आयेगी बात,
मिलेगा हर किसी का साथ,
मिलेगा हर किसी का साथ,
मन की बात मन में क्यों रहे,
जो है खुलकर मन कहे,
जो है खुलकर मन कहे,
विचारों में नये उत्साह को जगाओ,
जीवन को सहज, सरल बनाओ।
जीवन को सहज, सरल बनाओ।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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