जिंदगी की करवट से यूं ही निकला नहीं जाता,
यह सफर कहीं से आसान नजर नहीं आता,
बहुत धोखे हैं राह में,
रोड़े भरे पड़े जहां में,
गिरने का डर लगा रहता है,
झंझावतों से बचने को कौन कहता है,
वह इंसान नहीं जो सहता है,
मामूली जख्म से भी रोता है।
हौंसला है तो कामयाबी तय है,
फिर किस बात का भय है,
विजय पक्की होगी यह ज्ञान है,
जीत के हर मौके पर ध्यान है,
राह में अनगिनत पड़ाव कठिन नजर आते हैं,
जहां अच्छे-अच्छे बेदम हो गिर जाते हैं,
पर हम उन्हें पार कर लेंगे,
सभी मुसीबतों को हर लेंगे,
यही अपनी पहचान है,
तभी कहलाता इंसान है।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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