राहों का खिलाड़ी,
नहीं हूं मैं अनाड़ी,
है जोश भरा,
बोलूं खरा-खरा,
फिक्र की बात नहीं प्यारे,
लगा ले तू विरोध के नारे,
करना है जो वो करना है,
बिना मतलब के नहीं मरना है,
ठान लिया जो मैंने अब,
देखेगी दुनिया तब,
वारे होंगे न्यारे सबके,
जीत गये वे जाने कबके,
तुम ऐसे ही देखोगे,
बिना आग हाथ सेकोगे,
यह जश्न विजेता मना रहा है,
खुशी के गीत गा रहा है,
भूल गये तुम उसे,
जीतना आया जिसे,
वह विजेता है और रहेगा,
न सहा है, न सहेगा,
फिर राह तो अपनी है,
राम की माला जपनी है।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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