उम्र बढ़ती है तो कुछ चीजों की रंगत बढ़ जाती है। ऐसा कहा जाता है कि मदिरा जितनी पुरानी स्वाद उसका उतना उम्दा। उसी तरह बूढ़े होने पर पुराने दिन याद आते हैं। लेकिन उनकी याद से पुराने दिन लौट आते हैं। मन ताजा हो जाता है। ऐसा लगता है नयापन लौट आया है।
मदिरा के शौकीनों को मदिरा से प्यार होता है। 85 साल के हरनाम सिंह कहते हैं-"मैं खुद को भूलने के लिये शराब नहीं पीता। यह मेरे लिये जिंदगी की नेमत है। मेरे पास सालों पुरानी विह्स्की हैं। नाम तक याद नहीं रहते।
इतना कहकर वे किसी सोच में पड़ जाते हैं। हरनाम सिंह के निजि कक्ष में मदिरा के लिये एक विशाल रैक है। उसमें मशहूर ब्रैंड की शराब है।
हरनाम सिंह पुराने दिनों में खो जाते हैं। मजेदार यह है कि उन्हें उस वक्त के मित्रों के नाम भी याद हैं।
वे बताते हैं-"शाम को हम दोस्त साथ बैठ जाते। जसवंत अब दुनिया छोड़ चुका है। रम-विह्स्की के साथ हमारी बातें खत्म नहीं होती थीं। बलवीर हमेशा देर से पहुंचता।"
"बल्लू ....हम प्यार से बलवीर को यही कहते। आज वह विदेश में अपने परिवार के साथ है। उससे फोन पर पिछले दिनों बात हुई। वह काफी भावुक था। उसने बताया कि बुढ़ापा यादों के सहारे कट रहा है।"
हरनाम सिंह जैसे लोग अपने आखिरी पड़ाव में भी हौंसले के साथ जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें बुढ़ापे की परवाह कम है।
लेकिन वे मुस्कराकर कहते हैं -"मुझे पुरानी शराब ने इतने दिन जिंदा रखा है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिये।"
"पुरानी यादें और पुरानी मदिरा इंसान को जिंदादिल रखते हैं। बुढ़ापे में हौंसला चाहिये तो यह अपना सकते हैं। तरीका कारगर है।"
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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