सर्दी का आलम यह था कि मुझे मोजे पहनने पड़े। आमतौर पर मैं ऐसा करता नहीं, लेकिन एक उंगली को कुछ अधिक शीत सता रही थी। किसी ने कहा कि आप उंगली का कितना ख्याल रखते हैं। जबकि वे यह अच्छी तरह जानते होंगे कि मोजे तो पूरे पैर में पहनने हैं।
मोजे पहनकर हवाई चप्पल पहने घंटो बैठना मुझे बोर करता है। बिना कुछ पहने मोजों के साथ पलंग पर पालथी मारकर बैठा जा सकता है। वह भी तब जब आप टीवी देख रहे हों।
मेरे एक मित्र तो मामूली सर्दी होते ही मोजों में घिर जाते हैं। उनके मोजे ऊनी हैं जो उनकी सास ने बहुत प्रेम से उनके लिये बनाये हैं। दो जोड़ी मोजे जिनका रंग बैंगनी और नीला है, उनके पैरों में खूब फबते हैं। मैं मजाक में कह देता हूं कि आप बच्चों के पैर लिये घूम रहे हैं। उनका चार साल का बेटा भी हाथ की बुनाई किये हुये ऊनी मोजे पहनता है। वह बच्चा होते हुये भी दिसंबर से पहले उन्हें पैरों में नहीं पहनता। जबकि हमारे मित्र बाद में मार्च तक सजाते हैं।
कहा जाये तो शौक की बात है। किसी के लिये मोजे मजाक हैं, तो कोई सर्दी बहुत अधिक महसूस करता है। किसी को मेरी तरह उंगली की रक्षा के लिये मोजे पहनने पड़ते हैं।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.