पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। केनिया की एक वृद्धा ने यह साबित किया है। लोग उन्हें "गोगो" बुलाते हैं जिसका मतलब है "दादी"। उम्रदराज़ दादी का नाम प्रिसला सितनई है जो 90 साल की उम्र में स्कूल जा रही हैं।
सितनई चौथी कक्षा में पढ़ती हैं। वे सबसे आगे बैठती हैं। पिछले पांच साल से रोज क्लास में जा रही हैं। स्कूल की ड्रेस पहने हैं। टीचर के द्वारा दिया होमवर्क भी समय से पूरा करती हैं। पड़पोतों की उम्र के बच्चों के साथ बैठकर पढ़ना उन्हें अच्छा लगता है।
वे इसे "अद्भुत अनुभव" बताती हैं। कई बच्चे उनके बहुत अच्छे दोस्त हैं। बच्चों को वे कहानियां सुनाती हैं जिनमें उनके बचपन के कारनामे होते हैं। वे बच्चों में अपना ज्ञान बांटती हैं। उनके साथ खाना खाती हैं। यदि क्लास में शोर होता है तो उनके कहने पर क्लास शांत भी हो जाती है। देखा जाये तो वे बच्चों के एक अभिभावक का काम करती हैं। ऐसा अभिभावक जो उनके साथ बैठकर पढ़ता भी है।
सितनई को पढ़ने की अलख बाइबिल के कारण जगी। वे उसे पढ़ना चाहती थीं। वे दूसरों के लिये प्रेरणा हैं। जब वे 90 साल की उम्र में किताब-कलम उठा सकती हैं तो हर कोई पढ़ सकता है।
केनिया की दूसरी उम्रदराज महिला इस दुनिया में नहीं जिन्होंने दुनिया में 84 साल की उम्र में स्कूल जाने का विश्व कीर्तिमान बनाया था। अब सितनई दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला हैं जो प्राइमरी की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
उनका उत्साह दुनिया भर के लोगों को प्रेरणा दे रहा है।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.