वह सबसे अलग थी..

सपने सुन्दर होते हैं. जानती थी वह कि सपने हर बार सच नहीं होते, फिर भी वह सपने देखती थी.

वह सबसे अलग थी..

‘जिंदगी के महीन धागों की बनावट को देखकर वह हैरान थी। उसने खुद को उनसे जोड़ लिया था। वह खुद भी प्रेम की बहारों की ओर जाने को बेताब थी। मैंने उससे एक शब्द भी नहीं कहा और वह चली गयी।’ अमित के ये शब्द सुनकर मैं हैरान रह गया।

उसकी कहानी उसी की जुबानी....

मुझे लगता है कि मुझ से बेहतर तनीषा को कोई नहीं जानता। जो उससे एक बार मिल कर दो-चार बातें कर ले, वह उसी का हो जाता। थी ही वह ऐसी।

खुशियों को समेटना जानती थी वह। दुखों को बांटना जानती थी वह। हंसती थी, मुस्कराती थी और गंभीर चेहरा भी खूब बनाती थी। वैसे उसका चेहरा ऐसा लगता जैसे सारी दुनिया का बोझ वह खुद उठा रही हो।

गुस्सा बहुत आता था उसे। मगर हर किसी पर प्यार भी खूब लुटाती थी तनू। नाक उसकी उतनी बुरी भी नहीं थी, पर उसके दोस्त मजाक में उसे चिढ़ाते भी थे। गुस्से में उसकी नाक लाल हो जाती। तब वह देखने लायक होती। मुझपर भी उसने गुस्सा किया, आंखें दिखाईं, मगर मैं उसे देखकर सिर्फ हंसता था। वह सबसे अलग थी।

उसकी आंखों में पूरी दुनिया बसी थी। उसकी आंखें कितना कुछ कह जातीं। मन करता उनमें खो जाने का।

सपने सुन्दर होते हैं। जानती थी वह कि सपने हर बार सच नहीं होते, फिर भी वह सपने देखती थी।

मुझे मालूम ही नहीं चला, कब वह मुझे मिली और मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी। वह दोस्त से ज्यादा मानती थी मुझे और मैं उसे। हां, हाफ गर्लफ्रेंड थी वह मेरी।



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कभी-कभी किसी की कोई बात आपको इतनी अच्छी लग जाती है कि आप उससे प्यार करने लग जाते हैं। किसी की एक बात इतना असर कर जाती है कि वह सीधे आपके दिल पर दस्तक दे जाती है। मुस्करा उठते हैं आप। ऐसा लगता है जैसे दुनिया पहले से ज्यादा सुन्दर हो गयी है। मानो अनगिनत मीठी तरंगों की धारा में वह गये हों। सचमुच जिंदगी के हर पल का रस लेने का मन करता है तब। ऐसे ही कुछ तनू से मिलने के बाद मुझे भी लगा। मेरी दुनिया भी बदल रही थी।

कालेज में पहली बार मैंने उसे देखा था। आंखों को छोटा किये हुए वह खोई खोई बैठी थी। लगता था सारे संसार को उसने अपने इर्द-गिर्द समेट रखा है। मुझे पता नहीं चला कब वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी। उसकी हर बात को मैं ध्यान से सुनता। जब वह बोलती तो मैं उसके चेहरे को देखता रहता।

‘‘क्या हुआ? इस तरह क्यों देख रहे हो?’’ वह कहती, और उसकी आंखें बड़ी हो जातीं।

‘‘पता नहीं।’’ मैं बिना पलक झपकाये सिर्फ इतना ही कहता।

एक दिन मैंने उससे सवाल किया,‘‘कुछ लोग हमें अच्छे क्यों लगते हैं?’’

‘‘क्योंकि उनकी आदत उन्हें ऐसा बनाती है।’’ तनू ने मुस्कान के साथ कहा। ‘‘तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो?’’

‘‘और हां, खामोशी से जिंदगी को प्यार करो, वह तुम्हें करेगी। तब तुम खुद-ब-खुद अच्छे लगोगे। हर कोई तुम्हें पसंद करेगा।’’ मैं उसकी आंखों में अपना अक्स तलाश करने लगा।

उसने अपनी पतली गर्दन को आगे कर, माथे को बल दिया। थोड़ा मुस्करायी, फिर हंसकर बोली,‘‘तुम्हारी दुनिया अजीब हो रही है।’’

तनू सच कह रही थी। मेरी दुनिया अजीब हो रही थी।

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‘हम साथ नहीं रह सकते।’ वह बोली। ‘बिछड़ना होगा हमें।’

उसकी आंखें ज्यादा भरी हुई थीं। अब हम आंखों में डूब नहीं सकते थे।

‘अपना हाथ दो।’ वह बोली।

ऐसी गरमाहट मैंने पहले महसूस नहीं की थी। पर आज मैं हार गया था।

‘जा रही हूं मैं।’ ये उसके आखिरी शब्द थे।

उसकी दोस्त प्रिया ने बताया कि वह डॉक्टर बनकर अपने माता-पिता का सपना पूरा करना चाहती है। इसलिए तनू बेंगलुरु चली गयी।

-हरमिंदर सिंह.

“I am sharing a Half relationship story at BlogAdda in association with #HalfGirlfriend

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